ब्लाइंड मर्डर समझी गई वारदात 24 घंटे में उजागर

 

ब्यूरो मनीष द्विवेदी 

बोरे में मिली लाश से हिल गया ज़िला, एसपी राजेश कुमार की सख़्त मॉनिटरिंग और रणनीति ने खोल दी क़त्ल की हर परत

कौशाम्बी। शुरुआत एक ब्लाइंड मर्डर से हुई ना कोई प्रत्यक्ष गवाह, ना पहचान, ना कोई साफ़ सुराग। थाना सराय अकिल क्षेत्र में सड़क किनारे पड़े एक बोरे के भीतर मिला युवक का शव पुलिस के सामने सबसे कठिन चुनौती बनकर खड़ा था।अपराधियों को भरोसा था कि उन्होंने सबूतों के साथ-साथ सच को भी दफ़ना दिया है। लेकिन उन्हें अंदाज़ा नहीं था कि वे कौशाम्बी पुलिस को चुनौती दे बैठे हैं। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार ने मामले को हाई-सेंसिटिव ब्लाइंड मर्डर केस घोषित कर दिया। साफ़ शब्दों में निर्देश दिए गए कि यह केस समय नहीं लेगा, नतीजा देगा। हर घंटे की रिपोर्टिंग, हर एंगल की जांच और हर टीम की जवाबदेही तय की गई।*
👉🏿ब्लाइंड मर्डर से क्लियर केस तक
मौके पर न गवाह था, न पहचान, लेकिन पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों, मोबाइल टेक्निकल एनालिसिस और स्थानीय इनपुट को जोड़ते हुए सबसे पहले मृतक की पहचान की। यहीं से ब्लाइंड मर्डर की आंखें खुलनी शुरू हुईं। क्षेत्राधिकारी चायल अभिषेक सिंह के नेतृत्व में सराय अकिल प्रभारी निरीक्षक वीर प्रताप सिंह ने विवेचना की कमान संभालते हुए केस को भावनाओं से नहीं, तथ्यों से चलाया। रिश्तों की परतें खुलीं, बातचीत के रिकॉर्ड खंगाले गए और संदिग्धों की गतिविधियों को खामोशी से ट्रैक किया गया
👉🏿रिश्तों ने रचा कत्ल का खाका
जांच में सामने आया कि यह हत्या अचानक नहीं, बल्कि पुराने अविश्वास और घरेलू तनाव की उपज थी। साजिश पहले रची गई, फिर अंजाम दिया गया और अंत में शव को बोरे में भरकर पहचान मिटाने की कोशिश की गई। लेकिन पुलिस की पैनी नज़र से कोई चाल नहीं बची।सीओ चायल के नेतृत्व में गठित टीम ने तीन अभियुक्तों को दबोच लिया। पूछताछ में जुर्म कबूल होते ही ब्लाइंड मर्डर पूरी तरह से एक सुलझा हुआ केस बन गया। जिस केस को लोग अंधा कत्ल मान बैठे थे, उसे 24 घंटे के भीतर सुलझा लेना कौशाम्बी पुलिस की पेशेवर क्षमता का प्रमाण है। यह सफलता एसपी राजेश कुमार के नेतृत्व और सीओ अभिषेक सिंह की रणनीतिक सूझबूझ के बिना संभव नहीं थी।घटना के सफल अनावरण पर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार द्वारा पुलिस टीम को ₹25,000/- नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। यह इनाम नहीं, बल्कि उस जज़्बे की पहचान है, जो ब्लाइंड मर्डर को भी बेनक़ाब कर देता है। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि कौशाम्बी में अब ब्लाइंड मर्डर भी अंधा नहीं रहता। कानून देखता है, समझता है और समय पर वार करता है

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