Russia Ukraine News: यूक्रेन में रूस की बमबारी के बाद जानिए भारत पर क्यों लग सकता है प्रतिबंध

नई दिल्ली: यूक्रेन पर रूस के हमले (Ukraine Russia War) से वैश्विक परिस्थितियां बदल रही हैं। दुनियाभर के देश दो ध्रुवों में बंटे दिख रहे हैं। भारत फिलहाल मध्यमार्ग पर चल रहा है लेकिन उसके लिए टेंशन बढ़ सकती है। यूक्रेन की अपील के कुछ घंटे के भीतर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की और तत्काल हिंसा रोकने की अपील की है। पीएम ने जोर दिया है कि सभी पक्षों को कूटनीतिक बातचीत और संवाद की राह पर लौटना चाहिए। हालांकि बात यहीं तक खत्म नहीं हो जाती। अधिकारियों की मानें तो जंग के इस माहौल में अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी देशों की तरफ से भारत पर जबरदस्त दबाव बढ़ सकता है। समझा जा रहा है कि यूक्रेन पर रूस के हमले से भड़का अमेरिका उसे जवाब देने के लिए हरसंभव कोशिश करेगा। ऐसे में अमेरिका भारत पर प्रतिबंध (Caatsa Sanctions) भी लगा सकता है।

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अब तक CAATSA से बचता आ रहा भारत
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है। उन्होंने अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन को ‘आक्रमणकारी’ कहा है। बाइडन ने रूस के खिलाफ नए आर्थिक प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए कहा, ‘पुतिन एक आक्रमणकारी हैं। पुतिन ने युद्ध को चुना है।’ हालांकि उन्होंने रूसी सेना के खिलाफ युद्ध के लिए यूक्रेन में अमेरिकी सैनिकों को भेजने से साफ इनकार कर दिया। भारत पूरे घटनाक्रम पर नजर रख रहा है। भारत अब तक अमेरिका के सख्त कानून काट्सा (CAATSA) के तहत लगने वाले प्रतिबंधों से बचता आ रहा है। इस कानून के तहत रूस से हथियार खरीदने वाले देशों पर बड़े प्रतिबंध लगते हैं या कहिए कि उन्हें इस प्रतिबंध के जरिए रूसी हथियार खरीदने से रोका जाता है। भारत ने ट्रंप और बाइडन दोनों सरकारों के साथ अपने कूटनीतिक और सैन्य रिश्तों को मजबूत किया है।

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चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से मिलती चुनौतियों का जवाब देने के लिए भारत अपनी तैयारियों को मजबूत रखना चाहता है। इस क्रम में भारत ने अक्टूबर 2018 में पांच एस-400 ट्रम्फ मिसाइल सिस्टम (सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली) के लिए 40,000 करोड़ रुपये की बड़ी डील की। इसे भारत की आवश्यक राष्ट्रीय रक्षा जरूरत समझा जा रहा है।

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अमेरिका दूसरे देशों को तो खुली चेतावनी या प्रतिबंध लगाता रहा है लेकिन उसने रूस के साथ भारत की डील पर ज्यादा खुलकर बोलने से परहेज किया है। भारत ने मार्च 2019 में रूस के साथ 3 अरब डॉलर की एक और महत्वपूर्ण डील की, जिसके तहत एक Akula-1 क्लास की परमाणु सबमरीन लीज पर मिलेगी। वैसे, रूस अब भी भारत का सबसे बड़ा डिफेंस सप्लायर बना हुआ है लेकिन भारत ने अब अमेरिका, फ्रांस और इजरायल के साथ सैन्य साजोसामान और सॉफ्टवेयर जरूरतों के लिए नजदीकियां बढ़ाई हैं। रिश्ते मजबूत हुए और संतुलन साधा गया। अमेरिका ने भी खुद 2007 से 21 अरब डॉलर से ज्यादा की भारत से डिफेंस डील फाइनल की है।

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हालांकि एक अधिकारी ने कहा, ‘लेकिन बाइडन प्रशासन रूस से S-400 और दूसरे हथियारों की खरीद के लिए भारत को ज्यादा समय तक प्रतिबंधों से छूट नहीं दे सकता।’ चीन के मोर्चे पर भारत को उसकी PLA पर लगातार नजर रखनी होगी। डिफेंस अधिकारियों ने बताया कि मार्च-अप्रैल के महीने में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पीपल्स लिबरेशन आर्मी युद्धाभ्यास करने वाली है और भारत को हर तरह से तैयार रहना होगा।

एक अधिकारी ने कहा, ‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की हरकतों को रोकने की बजाय अमेरिका समेत पश्चिमी देशों का ध्यान यूक्रेन पर रूस के हमले की तरफ चला गया है। ऐसे में चीन खुद को टेंशन फ्री महसूस कर रहा होगा। बदले माहौल में वह एलएसी, विशेषतौर पर अरुणाचल सेक्टर में सैन्य ताकत का प्रदर्शन या कोई हरकत कर सकता है।’ वैसे भी पूर्वी लद्दाख में 21 महीने से चल रहे दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव को कम करने की PLA की मंशा नहीं दिख रही है।

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