कविता : नया भारत
काजल शाह संपादक कोलकाता
हम नए भारत के बच्चें हैं
नहीं किसी से डरते हैं
मुसीबतों कों हिम्मत से पार करते हैं
हम नए दौर के बच्चें हैं
जों मुश्किल है
उसे हंस कार आसान बनाते हैं
जों जुल्म करते हैं
उन्हें सजा दिलाते हैं
हम नए भारत के वीर बच्चे हैं
छल – कपट से जिसने किया
हम भारतीयों पर शासन
अब नहीं सहेंगे
किसी गोरे का शासन
अब नहीं सहेंगे
किसी गोरे का शासन
मिटाएंगे सारी कुरीतियों को
और नहीं बनने देंगे किसी
भारतीय को गोरे का गुलाम
अब भारत नहीं रहा पहले जैसा
बन चूका है भारत
वीरों की कुर्बानियों से
महलों जैसा
हम नए भारत के बच्चे हैं
अपनें कर्तव्य से कभी नहीं हटते है
भारत को अपनी मेहनत से महान बनाते है
हम नए भारत के वीर बच्चे है।
धन्यवाद : काजल साह :स्वरचित