जीत मिली है, मुझे अपने जिद से

कविता : जीत

काजल शाह संपादक कोलकाता

जीत मिली है, मुझे अपने जिद से

पहचान मिली है, मुझे अपने संघर्ष से

हिम्मत टूटी थी, पर गिरी नहीं मैं

हरदम रखी अपने हौसले को बुलंद

गिरकर उठी मैं और चलकर संभली

ठोंकर खाकर समझी मैं कि –

जीत चुकी हूँ अब अपनी हार से

बढ़ा चुकी हूँ, कदम जीत की ओर

नहीं रुकना है अब मुझे अब

लोगों की बातें सुनकर

कर दिखाना है कुछ अपने दम पर

मिल है ताना मुझे, सह ली सारे दर्द

जिद्दी बनकर हासिल कर लिया

अपने ख्वाब और………

देखों बढ़ चली मैं मंजिल की ओर।

 

धन्यवाद : काजल साह : स्वरचित

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *