श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कौशाम्बेश्वर आश्रम में उमड़ा भक्ति का सैलाब

*महाभारत और सती चरित्र की गूंज से भक्त भाव-विभोर*

*श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कौशाम्बेश्वर आश्रम में उमड़ा भक्ति का सैलाब*

  • *बारा कौशाम्बी।* ऐतिहासिक स्थल कौशाम्बी स्थित कौशाम्बेश्वर संकट मोचन आश्रम ट्रस्ट में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन भक्ति रस की अविरल धारा बही। कथा व्यास परम पूज्य श्री शंभु दास महाराज (वृंदावन) ने पौराणिक प्रसंगों की अमृतवाणी से श्रद्धालुओं को आत्मविभोर कर दिया।
    शंभु दास महाराज ने सृष्टि की उत्पत्ति का उल्लेख करते हुए बताया कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समन्वय से संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना हुई। उन्होंने कहा कि ये चरित्र केवल धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि विज्ञान और चेतना की आधारशिला भी हैं।
    इसके पश्चात ध्रुव चरित्र की दिव्य कथा सुनाई गई, जिसमें एक बालक की अटल भक्ति, तप और आत्मबल से भगवान विष्णु के साक्षात्कार की प्रेरक गाथा प्रस्तुत की गई। इस प्रसंग ने श्रोताओं को भक्ति भाव से सराबोर कर दिया।कथा के अगले चरण में सती चरित्र का मार्मिक वर्णन हुआ। भगवान शिव और माता सती के विवाह, सती के आत्मबलिदान तथा दक्ष यज्ञ की घटना का वर्णन करते हुए महाराज श्री ने कहा कि यह प्रसंग भक्ति, त्याग और आदर्श दांपत्य जीवन की अनुपम मिसाल है।
    महाभारत के प्रसंग में पांडवों की धर्मनिष्ठा, द्रौपदी चीरहरण, श्रीकृष्ण की रासलीला, गीता उपदेश और कुरुक्षेत्र के युद्ध की जीवंत झलकियां प्रस्तुत की गईं। शंभु दास महाराज ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता आज भी हर मानव जीवन के लिए संकट में प्रकाश स्तंभ है।
    भजन-कीर्तन और शंखनाद से गूंजा आश्रम परिसर में आचार्य अनुज अवस्थी व आचार्य अंशु दुबे (वृंदावन) ने अपने संगीतमय भजनों से श्रद्धालुओं को भक्ति रस में सराबोर कर दिया। शंखनाद, जयकारों और भजन-कीर्तन से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।कथा स्थल पर सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में भंडारे के रूप में प्रसाद वितरण किया गया। इस दौरान आश्रम के संस्थापक बाबा बुद्धनदास महाराज, खत्री बाबा आश्रम महंत जी, शिवाकांत मिश्र उर्फ रज्जन, राजू केशरवानी, कौशिक अग्रहरि, अंकित केशरवानी, अंकुर केशरवानी, अंकित सिंह, संदीप सिंह समेत गांव व क्षेत्र के सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे।

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