रिपोर्ट संदीप वर्मा
पटल सहायक गुलाम रब्बानी की फोन पर बात का आडियो सुनिए!उप सम्भागीय परिवहन कार्यालय “फतेहपुर”बना डाला जिम्मेदारो ने दलालों का चारागाह
एआरटीओं के मार्किंग के बाद भी सम्बंधित बाबू सुबेश बहादुर सिंह करतें टाल मटोल
“गुलाम रब्बानी”एआरटीओ मैडम का खास पटल प्रभारी “हैबी कामार्शियल लाईशेन्शों” का बादशाह।गुलाम रब्बानी के पटल की सभी फाईलों को
दलालों से “शानू”नाम का दलाल करता फाईलों सहित गुलाबी बापू की वसूली,शिकायतों के बावजूद करती कोई कार्यवाही एआटीओ पुष्पांजलि मित्रा गौतम।
“”रामदत्त का राज सेवानिवृत्त होने के बाद आज भी आफिस की फाईलों मे बरकरार””
रामदत्त Arto अफिस फतेहपुर का सबसे बडा है।राजदार
रिश्वत के द्वारा हर सीट से पहुचें पैसों को रामदत्त और सुधीर लगाता के सहारें नैया पार।
एम वी और एल एम वी पटल सहायक त्रिभुवन की फाईलों को दलालों से नाता “अकील”दलालों से फाईलों सहित गुलाबी बापू को करता ईकट्ठठा-तब इन सबसे होकर रेट बाउचर सहित फाईलें रामदत्त(आफिस का सबसे बडे़ राजदार) लेकर जाता है एआरटीओ मित्रा के पास,सूत्रों के मुताबिक मित्रा नही करती किसी से धन के मामलें मे विश्वास
गुलाम रब्बानी ने की दिव्यांग /विकलांग लाईसेंन्श भी मोटी रिश्वतखोरी करके जारी करवाए हैबी ड्राईविंग लाईसेंस
बीतें कुछ दिनों पहले बिना ट्रैक मे टेस्ट लियें ही कर दिया गया,सभी परमानेंट लाईसेन्श धारकों को रिश्वत खोरी के चलतें पास।रिश्वतखोरी मे पूरा आफिस संनलिप्त
आफिस की दूसरी सबसें बडीं सीट हैबी कामार्शियल ड्राईविंग लाईसेंश की है जो “गुलाम रब्बानी” के पास है।खास सूत्रों के मुताबिक फीस जमा होने के बाद 14से 15 हजार रूपये लगतें है।जो मलाईदार सीट गुलाम रब्बानी के पास है।जिनका एक खास दलाल साये की तरह पूरे दलालों से पैसें वसूलने मे महात्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कोई भी वीवीआईपी,वीआईपी, अधिकारी, नेता,पत्रकारों के बारे मे तुरन्त बताता है परिचय-रामदत्त Arto पुष्पांजलि मित्रा से परिचय,कुछ तथाकथित पत्रकारों के साए में रामदत्त भरता है दम्भ।
सारे पटल सहायकों की फाईलों को रामदत्त कराता दस्खत मित्रा मैडम से अप्रूवल बीडयो मौजूद।
ब्राजेन्द्र बहादुर नाम का चपरासी चलाता काला जादू वाहन फिटनेश का काम,मौके पर नही रहता कोई भी टेक्निकल अधिकारी/सक्षम अधिकारी,बिना रिश्वत के नही पूरे होते मानक,रिश्वत पूरे होते ही मानक पूरे हो जाते पूरे,सोनू नाम का दलाल रखता है पूरा दखल।
सूत्रों के मुताबिक फिटनेश में 900से लेकर 1,000 तक की होती अवैध वसूली। कम्प्यूटर आपरेटर भी पूछ कर देता फिटनेश प्रमाण पत्र,पूछता है किसके मार्फत है फिटनेश ?हर फिटनेश मे आमिर को चाहिए रूपये 100,आमिर नाम का दलाल करता है आफिस के अन्दर काम।
तीसरी आफिस की सबसे बडीं और महात्वपूर्ण सीट नयें पुरानें पंजीयन आफिस के सबसें बडें बाबू सुबेश बहादुर सिंह के पास है जो कि SB सिंह के रूप मे आफिस में फेमस है।जब कोई मामला फसता है तो इन्ही के आगें सभी अपनी तलवारें डाल देते है और आगे बढकर निपटाने का जिम्मा दिया जाता है। *पीड़ित का वृहस्पति का आडियो वायरल*
आफिस मे दलालों का एक कोडवर्ड बहुत ही फेमस है जो दलालों और सूत्रों के अनुसार आफिस मे एक “घाँघ”बाबू भी है।जो हर कार्य और हर मामले को निपटाने मे माहिर है।
फतेहरपुर जनपद के एन एच टू हाईवें स्थिति शहर के बाहर उप सम्भागीय परिवाहन कार्यालय (ARTO) में बिना रिश्वत के कोई काम नहीं होता है।इस रैकेट मे बडें बडें मठाधीशों ने ठेका ले रख है। हालात यह है कि यहाँ पर फिटनेस एक चपरासी के करता है।इन्ही के इशारे पर फिटनेश में दलाल फोटोज और रेडियम कम ज्यादा करने का काम करतें है।और रिश्वत से सारे नियम कानून सेमी-आटोमेटिक पास हो जाते है।चाहे शीशा टूटा हो,चाहे डाला टूटा हो,चाहे इंन्डीकेटर काम करे या न करे,चाहे स्कूल बस की मे इमरजेंसी डोर हो य न हो।जब किसी से पैसा नही मिलता तो उसकों यह चपरासी इतना नियम कानून पठाता है कि मानों टेक्निकल फिटनेश अफसर यही महोदय है। इतना हीं नही यह विभाग सदैव से सुर्ख़ियों में रहा है। समय समय पर छापेमारी होती रही है।फिर धीरे-धीरे सब कुछ समान्यतः अपनी अफरा-तफरी के बीच अपना काम शुरू कर देतें है।इसका पूरा हिस्सा शाम को एक एक बाउचर मे भरकर हर बाबू कितनी फाईलें और क्या रेट है। सब का हिसाब बकायदा एक लिफाफे मे गोपनीयता से पहुच जाता है। जिसका मिलान बकायदा घर पहुचकर होता है। विश्वास पात्र सूत्रों के मुताबिक नाम न छापने की शर्त पर बडें खुलाशे की ओर इंगित किया है। रिकार्ड रुम का हाल यह है कि वहाँ से न जाने कितनी फाईलें गायब हो गयीं।और दलालों का कार्यालय के अन्दर रिकार्ड रूम में कब्जा रहता है।हालात यहाँ तक है कि रिकार्ड रुम कर्मचारी से यदि कोई फाईल निकलवाई जाये तो वह उस फाईल को बिना दलाल के नही निकाल पायेगा, इसका मतलब साफ है कि रिकार्ड रुम कर्मचारी ने अपने लिए दलाल पाल रखें है।विभागीय जानकार सूत्रों के मुताबिक़ हर फाईल मे गुलाबी बापू की कहानी है।यदि कोई आम आदमी सीधे तौर पर काम कराने के लिए दफ्तर पहुचता है तो उसको इतना गुमराह किया जाता है कि जब तक वह दलालों की शरण मे शरणागत नहीं हो जाता है तब तक उसका काम नहीं हो सकता है एक शिकायत कर्ता के मुताबिक़ एक शिकायत में उप सम्भागीय परिवाहन अधिकारी पुष्पांजलि मित्रा गौतम से की तो उन्होंने अपने दस्कत के बाद सम्बंधित पटल सहायक बाबू को निर्देशित कर दिया लेकिन बाबू है कि गुमराह कर रहा है।जिसको पीडित बता भी रहा है ।और दलालों के द्वारा फाईलों को द्वारपाल से लेकर आफिस-पाल तक की महती भूमिका रामदत्त निभाता है।जो दलालों के द्वारा पहुची आफिस में भारी मात्रा में फाईलों पर दस्कत करवातें अक्सर देखा जा सकता है।सूत्रों के मुताबिक यह महोदय अपने सर्विशकाल से सेवानिवृत्त हो चुकें है किन्तु इनका गुलाबी बापू के कारण इस आफिस से मोहभंग नही हो पा रहा है।
बकायदा एक लिस्टिंग तैयार होती है कि इस सीट से इसका ये,और उस सीट से ये,इसका पूरा लेखा जोखा और हिसाब हर शाम को बाकयदा लिफाफे के अन्दर सील बन्द लिफाफे की तरह पैक/कैद रहता है।ऐसा मानों इस सील बन्द लिफाफे को आफिस के अन्दर खोलनें की इजाजत नहीं रहती है।घर पहुचकर आराम से ही खोलने की इजाजत होती है।दिखावें के लिए समय समय पर ए०आर०टी०औ०मैडम छापेमारी करवा कर दलालों के खिलाफ और मोटर ट्रेनिंग स्कूलों के खिलाफ दिखावे के लिए पटल सहायक गुलाम रब्बानी ने एएफ आई आर भी दर्ज करवा दी है।लेकिन जो गुलाम रब्बानी रिश्वतखोरी की बात एआरटीओं मैडम की बात बता रहा है आखिर उस पटल सहायक पर कब ए एफ आई आर होगी।मतलब साफ है कि बिल्ली अपने बच्चों का गला पोलें ही पकड़ती है।
*मुख्यमंत्री के आदेशों की खुलेआम उड़ाई जा रही धज्जियां, बाहरियों/दलालों का दखल से काटी जाती है मलाई*
जिस समय छापे की भनक होती है तो उस समय कार्य करने वाले दलालों को आफिस से बाहर निकलने मे बाबूओं की महात्वपूर्ण भूमिका चोली और दामन की रहती है।मानों यहाँ पर पर इस आफिस में दलालों के द्वारा दलाली और अवैध रिश्वत का खून सा लग गया हो। तय समय से के अनुसार कोई भी अधिकारी से लेकर बाबू आतें ही नहीं है।यहा पर हर फाईल और हर कार्य के लिए रेट तय है लाईसेंस नवीनीकरण, नया लाईसेंस जो अब आनलाइन आधार लिंक वाले लोग अपने घर बैठे इक्जाम दे सकते है।जिनका आधार लिंक नही है।उसको आफिस के अन्दर से एकजाम देने की सुविधा उपलब्ध है।एक बडी खबर सामने निकलकर आ रही है आनलाइन होने से पहले जो लोग कम्प्यूटर का चेहरा तक नहीं नही देखें है।और उनकों माऊस पकडना नही आता था उनके लाईशेन्शों मे पर बडा खेल हुआ है।इसी एक्जाम (परीक्षा) के नाम पर खूब जमकर धनवर्षा का खेल खेला गया।सही मायनें मे यदि जाँच हो जायें तो फतेहपुर मे इसके पहले रहें भी अधिकारियों से लेकर बाबूओं तक की गर्दन फस सकती है।यहाँ पर हर बाबू ने दलाल पाल रखें है जो समय समय पर गुल खिलाते रहतें है।और इनके सिपलहार बनकर लोगों से सिफारिश करतें रहतें है।
आनलाईन होने के पहले “धन वर्षा यंत्र बना था कम्प्यूटर” क्योंकि इस फतेहपुर जैसें पिछडें जनपद में संघडक का(कम्प्यूटर)का ज्ञान गाँव व ग्रामीण क्षेत्र के किसानों,नौजवानों के,बेरोजगारों, मजदूरों को कहाँ होता रहा है। जिनके द्वारा आनलाइन ड्राइविंग लाईशेन्श होने के पहले(जब आफिस के अन्दर से परीक्षा संघडक पर )बैठकर देना पडता था उसकी जाँच मे भी पूर्व में रहे उप सम्भागीय परिवाहन अधिकारी अरविन्द त्रिवेदी भी जाँच के घेरे में आकर फस सकतें है जानकारों के मुताबिक सचिवालय मे अच्छी पकड और विभागीय पहुच के चलतें जमकर अवैध धन कमाकर ले गयें है जब से हर हाथ में मोबाइल नवयुवकों तक पहुंच गया है तब से मोबाईल क्रांन्ति आ गयी है। तब से नवयुवक आनलाईन परीक्षा को देकर पास हो रहे है। इसके बाद तो गुजारना उसी माध्यम से होना पडता है।जानकारी के मुताबिक कुछ बेरोजगार युवक हैवी ट्रान्सपोर्ट वाहन और दो पाहिया वाहन से लेकर चार पाहिया वाहन तो बहुत अच्छी प्रकार से चला लेतें थे।लेकिन कम्प्यूटर(संघडक) का ज्ञान न होने के कारण उन लोगों को भारी रिश्वत की कीमत दलालों के द्वारा चुकाना पडा था।
ड्राइविंग लाईसेन्श आज हर वयस्क युवा और आम आदमी की आवश्यकता है और कुछ युवा लोग तो अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए हैवी कामार्शियल लाईसेन्शों का उपयोग करते है।सबसे ज्यादा कीमत तों इन्हीं को चुकाना पडता है। जिसके एक हैवी कामार्शियल वाहन चालक का लाईशेन्श बनवाने के लिए 14,000 से 15,000 तक का दालालों ने रेट खोल रखा है। आनलाइन का मात्र एक बहाना होता है अप्रूवल(परीक्षा पास) तो गुलाबी बापू के बिना होता ही नही।और इसका धन जब तक उप सम्भागीय परिवाहन कार्यालय मे जब तक सम्बंधित बाबू के पास से होकर नही जाता तब तक अप्रूवल (परीक्षा पास) नही हो सकता है।
वी वी आई पी और वी आई पी,पत्रकारों, अधिवक्ताओं प्रशासनिक लोगों को पटल सहायक बस यहीं बोलते हैं कि साहब के पास एक बार आप सामने उपास्थित हो जाईए बाकी हम करवा देंगें नहीं तो हमें शाम को दलाली में हिसाब आपके फाईल का भी देना पड़ेगा,और इन लोगों के लिए कोई भी रिश्वतखोरी के लिए मुह तक नही खोलता है। और संसद कोटे और विधायक कोटे का लाभ विधायक के आगें पीछें और साथ चलने वाले भी खूब ले रहें है। रिश्वत का खेल तो गरीब,मजलूम,बेरोजगार, किसान,मजदूर के साथ जाब कार्ड की तरह खेला जाता है मानों जैसे किसी गांव के ग्राम प्रधान के पास जाँब कार्ड खुल गया हो। इससे पहले और अभी तक के उप सम्भागीय परिवहन अधिकारियों की सही से जाँच हो जाये तो सब परत दर परत कलई खुलकर सामनें आ जायेगी।
सबसे बडा और दलाली का चारागाह फतेहपुर जनपद का उप सम्भागीय परिवहन कार्यालय है।यहाँ पर प्रतिदिन ढाई से 3लाख के लगभग पूरे कार्यों से दलालों के द्वारा दलाली का रूपया ईकाट्ठा होता है। आईये हम आपकों बतातें है बिंन्दुवार से लेकर बिंन्दूसार तक की चर्चा।आफिस की चर्चा शूरू कहा से होता है रिश्वत का खेल—-
१-अन्दर से (arto)आफिस से जारी वेरीफिकेशन के बाद फोटोग्राफी और दस्खत मे प्रति ब्यक्ति 100से 200 रूपये (पीडित युवक कैमरें मे बोलते हुयें)प्रति दिन 5से 6हजार एकट्टठा होता है।
2-परमानेंट लाईसेंस में फिर यही उपरोक्त प्रक्रिया के बाद दलालों के द्वारा 4,000 हजार से 45’000रूपये तक दलालों के हाथ मे जानें के बाद अन्दर सम्बंधित पटल सहायक तक 16,00रूपये से अब बढ़ाकर पिछले तीन माह से 2500पहुचने पर प्रति लाईशेन्श मे 400रूपये प्रति फाईल पटल सहायक बाबू के पास100रूपये फाईल अप्रूवल (अफसर की दक्षता परीक्षा पास)के लिए जाता है और 1,000दक्षता परीक्षा पास के लिए (अप्रूवल) कम्प्यूटर मे सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी की आईडी से जनरेट लाईशेन्श का कार्य करने वाले कम्प्यूटर(संघडक)पर
अब आप ही बताईये अगर एक दिन मे 100लाईसेंन्श परमानेंट होते है ।
उप सम्भागीय परिवहन कार्यालय के द्वारा जिसकी अथारिटी से लाईसेन्श जारी होता है प्रति लाईशेन्श-
Arto प्रशासन केआई डी जनरेट लाईशेन्श 1,000रू प्रति फाईल की दर से यदि 100फाईल परमानेंट(एल.एम.वी)लाईट मोटर वाहन होती है तो-100×1,000=1,00000(एक लाख)
अब बात करते है बाबू की तो 400×100तो-40,000(चालीस हजार)
कम्प्यूटर फीडिग की बात करे तो100×100=10,000(दस हजार)
इसी प्रकार फिटनेश मे 100वाहनों की अगर प्रति दिन होती है तो 900से लेकर 1000 तो 90,000से लेकर 10,0000तक ये होता है।
3-इसके बाद हैवी(ट्रान्सपोर्ट)मोटर यान/वाहन यदि एक दिन मे औसतन 10आते है तो इसमे 11हजार रूपये फीस कटने बाद तो इसमे भी 15,000×10अए हिसाब से.1लाख से ऊपर रूपये होता है।हैवी कामार्शियल के लाईसेन्स मे 15,000 रूपयें अन्दर लिये जातें है प्रति फाईल -तो 115000×10=100,000(एक लाख से बहुत अधिक एक स्कूल से) 2रूपये के कागज मूल्य के
ईसी क्रम मे यदि जनपद में 7 मोटर ट्रेनिंग स्कूल है तो इनके हिसाब सेआप अनुमान लगा सकतें है।
लगभग ढाई से 3लाख प्रति दिन के आसपास तो यह हो गया इसके अलावा रिनवल डीए,रिनवल आरसी मे भी बराबर का हिस्सा जाता है
सबसे बडा कमाई तो किसानों के हारवेस्टर और नये वाहन के पंजीयन/पंजीकरण वाली सीट पर है जो अपने आप को फतेहपुर के इस परिवहन विभाग का ARTO/ कमिश्नर से कम नही समझतें है। क्यो की खुद बता रहे हैं की सारे अधिकारी हमारे उपर छोड़ देते हैं कि लेखों भाई,मतलब साफ है कि कोई भी मामला हो सब पलभर मे साफ जो एक हारवेस्टर की पंजीकरण के लिए भी 10,000से कम नही लियें जाते है जिसे लोग “बडें”बाबू के नाम से जानतें है/ पुकारते है।और महीनें मे चंन्दा भी समय समय पर निकाला जाता है।हर हारवेस्टर मालिक से दर्ज यदि बयान लिये जायें तो बडी रिश्वत की पोल खुल जायेगी।जिसके शपथ पत्रों में भी बड़े खेल का अंन्देशा जताया जा सकता है।
इसके पहले भी पूर्व मे रहे एआरटीओ अरविंद त्रिवेदी के कार्यकाल में लगभग दो से ढाई लाख की चोरी हुई थी।जिसमें राजकीय राजकोश(खजाने)की चोरी हुईं थी लेकिन कोई भी सक्षम अधिकारी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज(fir)दर्ज कराने की जहमत नहीं उठाई थी।कि आफिस पुलिस विभाग के संज्ञान मे आने के बाद सुर्खियों मे आ जायेगा,और तरह तरह के सवाल उठने लगेगें।तो दलालों का काम प्रभावित होगा तो अवैध कमाई पर भी ग्रहण लगेगा। तब इसी अवैध धन जो दलालों के द्वारा आफिस में आता है इसी से राजकीय राजकोष के चोरी हुये धन को पूरा किया गया था।
एक स्थानीय विधायक की सिफारिश समय समय पर परिवहन मंत्री से मिल स्थानांतर और ट्रान्सफर रोकवाने की लिए भी सिफारिश की जाती है।