रिपोर्ट मुस्तकीम अख्तर
दर्जन भर से ज्यादा संचालित निजी अस्पतालों से खराब हो रही जिला अस्पताल व सरकार की छवि
प्रसवदात्री महिला व गंभीर रोग के मरीजों की टोह में रहते हैं ऐसे दलाल
कौशाम्बी
रोगियों को मुफ्त में बेहतर इलाज मिल सके, इसके लिए सरकार जिला अस्पताल के माध्यम से बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था उपलब्ध कराने में जुटी हुई है। जिले का तराई इलाका हो या फिर दूरदराज के रहने वाले मरीज हों, उनका आना जाना जिला अस्पताल में बाखूबी बना रहता है। उधर जिला अस्पताल के संचालन के बादं निजी अस्पताल के संचालकों ने भी अपना दिमाग लगाना शुरू कर दिया। देखते ही देखते जिला अस्पताल के इर्द गिर्द दर्जन भर से अधिक निजी अस्पतालों का संचालन शुरू हो गया। निजी अस्पतालों के संचालकों की भी दुकान ठीक ठाक चले इसके लिए संचालकों ने अपना-अपना एजेंट बनाकर जिला अस्पताल के इर्द गिर्द निगाह रखने लिए सेट कर दिया। यह एजेंट दलाल के रूप में जिला अस्पताल में आने वाले ऐसे मरीज जो गंभीर रोगों से ग्रसित हों या फिर प्रसवदात्री महिला हो उनकी टोह में लगे रहते हैं, इतना ही नहीं मौका देखते ही उन्हें सेट कर अपनी अस्पतालों तक पहुंचा देते हैं। ऐसे में जिला अस्पताल की कार्यप्रणाली पर जहां सवालिया निशान खडा हो रहा है वहीं कहीं न कहीं सरकार की छवि भी जनता के बीच धूमिल हो रही है।
यहां बताना जरूरी होगा कि जिले में निजी अस्पताल के संचालन में अच्छा खासा इजाफा हुआ है। अकेले जिला अस्पताल के इर्द गिर्द की बात करें तो एक दर्जन से अधिक निजी अस्पताल संचालित हो रही हैं। सबसे बडी बात यह है कि इन अस्पताल संचालकों की निगाह जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों पर टिकी रहती है। यहां तक की दिन हो या फिर रात्रि, इनकी निगाह इसी में रहती है कि यहां से किस मरीज को चिकित्सकों द्वारा रेफर किया जा रहा है। मरीजों के रेफर होने के बाद निजी अस्पताल के दलाल चोरी चुपके मरीज के तीमारदारों तक पहुंचकर उनको अपने अस्पताल के खूबी के बारे में बताना शुरू कर देते हैं। यदि मामला सेट हो गया तो फौरन अपनी अस्पताल पहुंचाकर उसे भर्ती कर भी कर लेते हैं। इसके बाद शुरू होता है धनादोहन। अब बडी बात यह है कि जिला अस्पताल के इर्द गिर्द निजी अस्पताल के संचालन का कोई मानक होगा, हालांकि पिछले दिनों जिला प्रशासन की कार्यवाही ने हडकंप मचा दिया था। लेकिन कुछ भी हो जिस तरह से निजी अस्पताल के दलाल जिला अस्पताल के इर्द गिर्द मंडराते हुए मरीजों को सेट कर अपनी अस्पतालों में भर्ती कराते हैं, उसके बाद इलाज सही न होने के बाद उन्हें फिर गैर जनपद के अस्पतालों का सहारा लेना पड जाता है ऐसे में कहीं न कहीं जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर प्रश्न चिंह उठने लगता है। इससे जहां जिला अस्पताल की कार्यप्रणाली पर लोग सवाल खडा करने लगते हैं वहीं प्रदेश सरकार की भी छवि धूमिल होने लगती है। हालांकि जिले के बुद्धिजीवियों ने इस ओर जिलाधिकारी सुजीत कुमार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए नियमतः ठोस कदम उठाए जाने की मांग किया है।