शीर्षक – एक वह है और एक आप है

दिनांक 21/10/022(शुक्रवार)

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शीर्षक – एक वह है और एक आप है

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एक वह है और एक आप है।

बात सीधी,सच्ची और साफ है।।

एक वह है और——————–।।

 

हम तो दोनों के लिए नहीं अलग अलग।

किसकी नजरें यहाँ,कितनी साफ है।।

एक वह है और———————-।।

 

वह बैठाते हैं हमको अपनी पलकों पर।

उनके दिल में, क्यों नहीं कोई पाप है।।

एक वह है और———————-।।

 

उनसे ज्यादा प्यार हमने तुमको किया है।

फिर भी हमारे साथ, क्यों नहीं आप है।।

एक वह है और————————-।।

 

पूजते हैं खुदा को वह भी, आपकी तरह।

उनकी तरह दिल से, क्यों नहीं आप साफ है।।

एक वह है और —————————-।।

 

रिश्तें बनते नहीं कभी, किसी से दौलत से।

सिर्फ दौलत को ही तो,चाहते आप है।।

एक वह है और————————–।।

 

 

 

 

शिक्षक एवं साहित्यकार-

गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद

तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

मोबाईल नम्बर- 9571070847

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