Russia Ukraine Crisis: ‘धमाकों के बीच हैं हम, कैसे ढूंढे सुरक्षित जगह’ यूक्रेन में फंसे भारतीय स्टूडेंट्स का छलका दर्द

नई दिल्ली: ‘सुबह से ही धमाकों की आवाज सुनाई दे रही है। हर जगह पैनिक है। हम तीन दोस्त एक ही घर में शिफ्ट हो गए हैं… डरे हुए हैं। किसी तरह बाहर जाकर खाने-पीने का सामान लेने गए, उसी वक्त बॉम्बिंग की आवाज सुनाई दी, उस वक्त सड़क पर हर एक शख्स दहल गया, हर कोई चौंक कर थम सा गया। यहां मार्शल लॉ लग चुका है, हमारी पढ़ाई भी बंद हो चुकी है।’ यूक्रेन में युद्ध संकट के बीच राजधानी किएव में रह रहे मेडिकल स्टूडेंट सुमित सुमन की यह मुश्किल हर उस स्टूडेंट की मुश्किल बयां कर रही है, जो अपने देश से युक्रेन पढ़ने गए हैं।

इंडियन एंबेसी के बाहर गुरुवार सुबह से लोगों की भीड़ जमा रही, जिसमें ज्यादातर स्टूडेंट्स थे। कई लोगों की फ्लाइट बुक थी मगर अचानक उड़ानें रोक दी गईं। एंबेसी के बाहर सर्द मौसम में घंटों स्टूडेंट्स खड़े रहे, बैठने तक का इंतजाम नहीं था। तीन से दस गुना महंगी फ्लाइट के लिए हमारा पास पैसे नहीं हैं, यही कई स्टूडेंट्स का कहना था। इंडियन एंबेसी ने स्टूडेंट्स से अपील की है कि वे पैनिक ना हों और जहां साइरन बज रहे हैं, वहां बॉम्ब शेल्टर में जाएं। मगर स्टूडेंट्स का कहना है, पैनिक कैसे ना हों! युक्रेन के अंदर भी कई जगह ट्रांसपोर्ट लगभग बंद है, ऐसे में वे एक इलाके से दूसरे सेफ इलाके में नहीं जा पा रहे हैं।

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‘धमाकों का वाइब्रेशन तक हुआ महसूस’
खारकिव में रह रहे ओडिशा के स्टूडेंट अश्विन धमाकों से डरे हुए हैं। वह कहते हैं, यह बॉर्डर ही है, यहां बॉम्बिंग हुई है। सुबह 5 बजे धमाकों की आवाज आ रही है। हम वाइब्रेशन तक महसूस कर सकते हैं। मैं चाहता हूं कि पहले युक्रेन में ही मैं एक सुरक्षित जगह में जा सकूं और फिर भारत लौटूं। मगर ट्रेन, बस, कैब पूरा ट्रांसपोर्ट ठप है, हम बस साइरन की आवाज सुन रहे हैं। एंबेसी कह रही है सेफ जगह जाएं, मगर कैसे! खारकिव नैशनल मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट अश्विन कहते हैं, साफतौर पर युक्रेन सरकार और एजुकेशनल इंस्टिट्यूट के बीच कम्यूनिकेशन नहीं हुआ वरना हम सब पहले ही अपने देश लौट जाते। कल तक हमारी ऑफलाइन क्लासेज हुई हैं और आज हमें ऑनलाइन क्लासेज के लिए कह दिया गया है।

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‘ज्यादातर वे फंसे हैं, जिनके पास पैसों की दिक्कत’
गुड़गांव के सुमित सुमन किएव में फंसे हैं। बोगोमोलेट्स कॉलेज के मेडिकल स्टूडेंट सुमन कहते हैं, मुझे इंडिया वापस जाना था मगर अब फ्लाइट्स भी बंद हैं। वे हैं भी इतनी महंगी कि हर एक की पॉकेट के बस में नहीं। जो फ्लाइट मैं 18 से 20 हजार में करता था वो 60 हजार से 1 लाख की हो गई है। यहां कई एटीएम में अब पैसा भी नहीं है… एटीएम, मार्ट में लोगों की लाइनें लगी। मेट्रो भी बंद है। कैब का रेट 10 गुना हो गया है। बस कुछ बसें चल रही हैं। मिलिट्री नजर आ रही है। एडवाइजरी भी आयी है कि बाहर ना निकलें। मेरा एक दोस्त नोएडा और एक बिहार से है, हम सब एक ही जगह आ गए हैं। हम जल्द भारत लौटना चाहते हैं। सरकार को यह ध्यान देना जरूरी है कि ज्यादातर वे स्टूडेंट्स यहां फंसे हैं जिनके पास महंगी फ्लाइट के लिए पैसे नहीं है। एयर इंडिया का ही फ्लाइट टिकट 60 हजार रुपये है।

‘पैरंट्स फोन पर रो रहे हैं’
इवानो फ्रैंकिवस्क में रह रहीं भारतीय मेडिकल स्टूडेंट अंकिता शाही कहती हैं, मेरे पैरंट्स सुबह से फोन पर रो रहे हैं। युक्रेन में कोई जगह सेफ नहीं। मैं अपार्टमेंट में रहती हूं, आसपास मेरे और चार साथी रहते थे। पटना की अंकिता कहती हैं, हम सब भारत लौटना चाहते हैं। मेरे पास पैसे भी ज्यादा नहीं है, फूड सप्लाई की कमी है। हमें नहीं मालूम यह स्थिति कब तक रहेगी। मैं 1 मार्च की फ्लाइट बुक करने वाली ही थी कि वॉर की खबर आ गई।

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युक्रेन में राजस्थान से पढ़ने गए मेडिकल के सेकंड ईयर स्टूडेंट निर्देश दोसी सेकंड ईयर मेडिकल स्टूडेंट हैं। वह कहते हैं, सुबह से मेरे परिवार वालों के कॉल्स आ रहे हैं, वे बहुत परेशान हैं। मगर मैं युक्रेन के वेस्टर्न पार्ट में हूं जो अभी सेफ है। बाकी स्टूडेंट्स भी चाहते हें कि वे इस एरिया में आ जाएं, जब तक देश नहीं लौटते। मगर ट्रेन, बस, कैब सबका ऑपरेशन भी रुका है। मेरा वापस आने के लिए टिकट हो चुका था मगर अब एयर रुट ही बंद कर दिया गया है, इसलिए इंडियन एंबेसी के जवाब के इंतजार में हूं।

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