हिन्दू धर्म के प्राचीन ग्रंथों में १६ मुख्य साम्राज्यों का वर्णन मिलता है जिन्हे महाजनपद के नाम से जाना जाता था।

भारतीय इतिहास पर एक लेख!

💐#महाजनपद !!💐

ब्यूरो रिपोर्ट एस कुमार प्रयागराज

हिन्दू धर्म के प्राचीन ग्रंथों में १६ मुख्य साम्राज्यों

का वर्णन मिलता है जिन्हे महाजनपद के नाम से

जाना जाता था।

 

इससे मिलते जुलते विवरण बौद्ध और जैन ग्रंथों में

भी मिलते हैं।

 

महाजनपद वास्तव में कई साम्राज्यों का समूह होता

था जिसके अंतर्गत राज्यों के राजा महाजनपद के प्रमुख

राजा के अधीन रहते थे।

 

इनका राजनितिक महत्त्व बहुत अधिक था।

आइये इसके बारे में कुछ जानते हैं:

 

1.💐#अवन्ति:

आधुनिक मालवा का प्रदेश जिसकी राजधानी

उज्जयिनी और महिष्मति थी,जो वर्तमान

मध्यप्रदेश का उज्जैन नगर है।

 

महाभारत में सहदेव द्वारा अवन्ति को विजित

करने का वर्णन है।

जैन ग्रंथ भगवती सूत्र में इसी जनपद को मालव

कहा गया है।

 

इस जनपद में स्थूल रूप से वर्तमान मालवा,निमाड़

और मध्य प्रदेश का बीच का भाग सम्मिलित था।

पुराणों के अनुसार अवन्ति की स्थापना यदुवंशी

क्षत्रियों द्वारा की गई थी।

चतुर्थ शताब्दी पूर्व तक अवन्ति मौर्य-साम्राज्य में

सम्मिलित थी एवं उज्जयिनी मगध-साम्राज्य के

पश्चिम प्रांत की राजधानी थी।

गुप्त काल में चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने अवंती को

पुन: विजय किया और वहाँ से विदेशी सत्ता को

उखाड़ फैंका।

 

मध्यकाल में इस नगरी को मुख्यत: उज्जैन

ही कहा जाता था।

जैन ग्रन्थ विविधतीर्थ कल्प में मालवा प्रदेश

का ही नाम अवंति है।

इसी नगर में १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक

महाकाल ज्योतिर्लिंग स्थित है।

 

आज जो क्षिप्रा नदी उज्जैन के निकट बहती है

उसका वर्णन प्राचीन ग्रंथों में भी किया गया है।

 

2.💐#अश्मक:

नर्मदा और गोदावरी नदियों के बीच स्थित इस

प्रदेश की राजधानी पाटन थी जो आधुनिक काल

का महाराष्ट्र का प्रदेश है।

 

बौद्ध साहित्य में इस प्रदेश का कई जगह वर्णन

मिलता है।

इसकी राजधानी प्रतिष्ठानपुर बताई गयी है।

 

पाणिनि ने अष्टाध्यायी में भी अश्मकों का

उल्लेख किया है।

 

अश्मक नामक राजा का उल्लेख वायु पुराण

और महाभारत में भी है और उसी के नाम पर

ये स्थान अश्मक कहलाया।

 

3.💐#अंग:

वर्तमान बिहार का भागलपुर जिला अंग प्रदेश

कहलाता था।

कुछ समय पहले तक मुंगेर जिला भी भागलपुर

के अंतर्गत ही आता था और बाद में ये स्वतंत्र

जिला बन गया।

 

अंग देश की राजधानी चम्पानगरी थी जो वर्तमान

के भागलपुर में है।

 

महाभारत में ऐसा वर्णन आता है कि अर्जुन के

विरुद्ध कर्ण को युद्ध की अनुमति ना मिलने पर

दुर्योधन ने उसे अंग देश का राजा बना दिया।

 

पहले अंग मगध महाजनपद के अंतर्गत आता

था लेकिन बाद में भीष्म द्वारा अंग को जीतने

के पश्चात् ये हस्तिनापुर के अधीन आ गया।

 

मुंगेर में भी कर्ण का किला जीर्ण अवस्था में

विद्यमान है।

 

4.💐#कम्बोज:

कश्मीर से हिमालय के हिन्दूकुश तक के प्रदेश

को कम्बोज कहा जाता था।

वाल्मीकि रामायण में कंबोज,बाह्लीक एवं वनायु

देशों के श्रेष्ठ अश्वों का अयोध्या में होना वर्णित है।

 

महाभारत के अनुसार अर्जुन ने अपनी उत्तर दिशा

की दिग्विजय यात्रा के दौरान कम्बोजों को परास्त

किया था।

 

महाभारत में ही कर्ण द्वारा कांबोजों को जीतने का

वर्णन है।

वैदिक काल में कंबोज आर्य-संस्कृति का केंद्र था

किंतु कालांतर में जब आर्यसभ्यता पूर्व की ओर

बढ़ती गई तो कंबोज आर्य-संस्कृति से बाहर

समझा जाने लगा।

 

कम्बोजों को असंस्कृत तथा हिंसात्मक प्रवृत्तियों

वाला बताया है।

 

महाभारत में कंबोज के कई राजाओं का वर्णन है

जिनमें सुदर्शन और चंद्रवर्मन मुख्य हैं।

 

5.💐#काशी:

आज का वाराणसी प्राचीन काल में काशी के

नाम से विख्यात था।

 

हरिवंशपुराण के अनुसार चंद्रवंशी राजा पुरुरवा

के एक वंशज काश ने इस नगर को बसाया था

और उन्ही के नाम पर इस नगर का नाम काशी पड़ा।

 

मान्यता है कि काशी भगवान शंकर के त्रिशूल

पर स्थित है और इसी कारण प्रलयकाल में भी

इस नगर का नाश नहीं होता।

 

श्रीकृष्ण ने काशी पर अपने सुदर्शन चक्र से प्रहार

किया था किन्तु महादेव की कृपा से ये नगर नष्ट

ना हो पाया।

 

इसी राज्य की राजकुमारियों – अम्बा,अम्बिका

औरअम्बालिका का हरण भीष्म ने स्वयंवर से

कर लिया था।

 

इन्ही में से अम्बा आगे चल कर शिखंडी के रूप

में जन्म लिया और भीष्म की मृत्यु का कारण बनी।

 

6.💐#कुरु:

प्रसिद्ध कौरव साम्राज्य यहीं का था जिसकी

राजधानी हस्तिनापुर थी।

आज के हरियाणा तथा दिल्ली का कुछ भाग

कुरु महाजनपद का हिस्सा था।

बाद में इसी का एक भाग खांडवप्रस्थ पांडवों

को बंटवारे में मिला जिसे उन्होंने इंद्रप्रस्थ का

नाम दिया।

 

इस महाजनपद में हिमालय के उत्तर का भाग

“उत्तर कुरु” एवं हिमालय के दक्षिण का भाग

“दक्षिण कुरु” के नाम से विख्यात था।

 

जब हम कुरुवंश के विषय में पढ़ते हैं तो पता

चलता है कि चंद्रवंशी महाराज संवरण के पुत्र

का नाम कुरु था जिनके नाम पर इस साम्राज्य

को कुरु और वंश को कुरुवंश कहा जाने लगा।

 

कौरव और पांडव इसी कुल में जन्मे थे।

 

ये प्राचीन आर्यावर्त के दो सबसे शक्तिशाली

महाजनपदों में से एक था।

अन्य शक्तिशाली महाजनपद मगध था।

 

7.💐#कोसल:

वर्तमान का अयोध्या का प्रदेश।

ये महाजनपद सरयू नदी के तट पर बसा था।

रामायण काल में कोसल राज्य की दक्षिणी सीमा

पर वेदश्रुति नदी बहती थी।

 

भगवान श्रीराम ने यही जन्म लिया और बाद में

यहाँ के राजा बने।

 

इसी कोसल प्रदेश की राजधानी अयोध्या थी।

श्री रामचंद्रजी ने अयोध्या से वन के लिए जाते

समय गोमती नदी को पार करने के पहले ही

कोसल की सीमा को पार कर लिया था।

 

इसके पश्चात श्रीराम ने पीछे छूटे हुए अनेक

जनपदों वाले महाजनपद कोसल की भूमि

माता सीता को दिखाई।

 

रामायण काल में ये महाजनपद दो भागों में

विभक्त था -उत्तर कोसल और दक्षिण कोसल।

श्रीराम की माता कौशल्या दक्षिण कोसल की

राजकुमारी थी।

महाभारत में भीमसेन की दिग्विजय यात्रा में

कोसल नरेश बृहद्बल की पराजय का उल्लेख है।

 

8.💐#गांधार:

वर्तमान का अफगानिस्तान और पाकिस्तान

का कुछ प्रदेश।

आज के कन्धार का नाम गांधार पर ही रखा

गया है।

इस महाजनपद के प्रमुख था पुरुषपुर (पेशावर)

एवं तक्षशिला इसकी राजधानी थी।

महाभारत के अनुसार धृतराष्ट्र की रानी गांधारी

इसी प्रदेश की थी।

यहाँ के नरेश राजा सुबल थे और उनकी मृत्यु

के पश्चात उनके पुत्र शकुनि को ये राज्य मिला।

चूँकि शकुनि हस्तिनापुर में ही रहते थे इसी

कारण यहाँ उनका पुत्र उलूक राज्य करता था।

 

रामायण में ऐसा वर्णन है कि केकय नरेश युधाजित

के कहन पर श्रीराम के भाई भरत ने गंधर्व देश को

जीतकर यहाँ तक्षशिला और पुष्कलावती नगरियों

को बसाया था।

 

9.💐#चेदि:

वर्तमान में बुंदेलखंड का इलाक़ा

इसके अर्न्तगत आता था।

प्राचीन काल में यहाँ एक यदुवंशी राजा हुए चेदि,

जिनके नाम पर इस महाजनपद का नाम चेदि पड़ा।

महाभारत के अनुसार शिशुपाल यहाँ का राजा था।

उसकी मगध के राजा जरासंध से घनिष्ठ मित्रता थी।

आज मध्य प्रदेश के ग्वालियर क्षेत्र में जो चंदेरी

कस्बा है उसे ही प्राचीन काल में चेदि नगर की

राजधानी माना जाता था।

 

महाभारत में चेदि देश की अन्य कई देशों के

साथ,कुरु के परिवर्ती देशों में गणना की गई है।

 

कर्ण पर्व में चेदि देश के निवासियों की प्रशंसा

की गई है।

महाभारत में इसकी राजधानी शुक्तिमती बताई

गई है।

 

10.💐#वृज्जि:

उत्तर बिहार का बौद्ध कालीन गणराज्य जिसे

बौद्ध साहित्य में वृज्जि कहा गया है।

वास्तव में यह गणराज्य एक राज्य-संघ का अंग

था जिसके आठ अन्य सदस्य (अट्ठकुल) थे जिनमें

विदेह,लिच्छवी तथा ज्ञातृकगण प्रसिद्ध थे।

 

बुद्ध के जीवनकाल में मगध सम्राट अजातशत्रु

और वृज्जि गणराज्य में बहुत दिनों तक संघर्ष

चलता रहा।

 

महावग्ग के अनुसार अजातशत्रु के दो मन्त्रियों

सुनिध और वर्षकार ने पाटलिपुत्र (वर्तमान का

पटना) में एक क़िला वृज्जियों के आक्रमणों को

रोकने के लिए बनवाया था।

 

जैन तीर्थंकर महावीर वृज्जि

महाजनपद के ही राजकुमार थे।

 

11.💐#वत्स:

आधुनिक उत्तर प्रदेश का प्रयागराज और

मिर्ज़ापुर इसके अर्न्तगत आते थे।

इस जनपद की राजधानी कौशांबी

(वर्तमान प्रयागराज) थी।

वत्स देश का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में भी है।

ऐसा लिखा है कि लोकपालों के समान प्रभाव वाले

श्रीराम वन जाते समय महानदी गंगा को पार करके

शीघ्र ही धनधान्य से समृद्ध और प्रसन्न वत्स देश में

पहुँचे।

 

इस उद्धरण से सिद्ध होता है कि रामायण-काल

में गंगा नदी वत्स और कोसल जनपदों की सीमा

पर बहती थी।

 

गौतम बुद्ध के समय वत्स देश का राजा उदयन था

जिसने अवंती-नरेश चंडप्रद्योत की पुत्री वासवदत्ता

से विवाह किया था।

इस समय कौशांबी की गणना उत्तरी भारत के महान

नगरों में की जाती थी।

महाभारत के अनुसार भीम ने दिग्विजय के समय

वत्स भूमि पर विजय प्राप्त की थी।

 

12.💐#पांचाल:

वर्तमान में उत्तर प्रदेश के बरेली,बदायूँ और

फर्रूख़ाबाद जिले पांचाल महाजनपद में आते थे।

महाभारत में इसके सम्राट द्रुपद बताये गए हैं जो

गुरु द्रोण के मित्र थे।

द्रोण ने द्रुपद को जीतने के पश्चात इस प्रदेश को

दो भागों में विभक्त कर लिया-उत्तरी पांचाल एवं

दक्षिणी पांचाल।

 

उत्तर पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र बनाई गयी

जहाँ द्रोण ने अपने पुत्र अश्वत्थामा को राजा बनाया।

दक्षिण पांचाल की राजधानी कांपिल्य थी जहाँ द्रुपद

का शासन रहा।

 

द्रुपद की कन्या द्रौपदी इसी राज्य के नाम के कारण

पांचाली भी कहलाती थी।

 

शतपथ ब्राह्मण में पंचाल की परिचका नामक नगरी

का उल्लेख है जो महभारत काल में एकचक्रा नगरी थी।

 

यही पर भीम ने बकासुर का वध किया था।

 

पांचाल पाँच प्राचीन कुलों का सामूहिक नाम

था-किवि,केशी,सृंजय,तुर्वसस तथा सोमक।

 

पांचाल और कुरु परस्पर प्रतिद्वंदी थे किन्तु पांडवों

के साथ द्रोपदी के विवाह के पश्चात ये शत्रुता थोड़ी

कम हो गयी।

 

पांचाल को भीम ने अपनी पूर्व दिशा की दिग्विजय

यात्रा में पराजित किया था।

 

13.💐#मगध:

बौद्ध काल तथा परवर्तीकाल में उत्तरी भारत का

सबसे अधिक शक्तिशाली महाजनपद।

आज के बिहार राज्य का बड़ा भाग प्राचीन काल

में मगध कहलाता था,विशेषकर दक्षिण बिहार का

पटना और गया का इलाका।

इसकी राजधानी गिरिव्रज थी।

महाभारत काल में जरासंध यहाँ का सम्राट था

जिसका वध भीम ने किया था।

 

तत्पश्चात मगध का राज्य जरासंध के पुत्र

सहदेव को मिला।

 

इसकी सीमायें कुरु और अंग महाजनपद

तक जाती थी।

गौतम बुद्ध के समय में मगध में बिंबिसार

और उसके बाद सके पुत्र अजातशत्रु का

राज था।

 

इनके बाद चन्द्रगुप्त मौर्य तथा अशोक के

राज्यकाल में मगध के प्रभावशाली राज्य

की शक्ति अपने उच्चतम गौरव के शिखर

पर पहुंची हुई थी और मगध की राजधानी

पाटलिपुत्र भारत भर की राजनीतिक सत्ता

का केंद्र बिंदु थी।

 

14.💐#मत्स्य: इसमें वर्तमान राजस्थान के अलवर,

भरतपुर तथा जयपुर ज़िले शामिल थे।

महाभारत काल का एक प्रसिद्ध महाजनपद

जिसकी राजधानी उपप्लव थी।

महाभारत में यहाँ विराट नरेश का राज्य था

और पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान इसी

नगर में आये थे।

 

विराट नरेश की पुत्री उत्तरा का विवाह अर्जुन

के पुत्र अभिमन्यु से हुआ था।

 

सहदेव ने अपनी दिग्विजय-यात्रा में मत्स्य

देश पर विजय प्राप्त की थी।

इसके अतिरिक्त भीम ने भी मत्स्यों को विजित

किया था।

 

महाभारत में यहाँ का सेनापति कीचक बताया

गया है जिसका वध भीम ने किया था।

 

15.💐#मल्ल:

यह भी एक गणसंघ था और पूर्वी उत्तर प्रदेश

के इलाके इसके क्षेत्र थे।

 

मल्ल देश का सर्वप्रथम निश्चित उल्लेख शायद

वाल्मीकि रामायण में इस प्रकार है कि राम चन्द्र

जी ने लक्ष्मण-पुत्र चंद्रकेतु के लिए मल्ल देश की

भूमि में चंद्रकान्ता नामक पुरी बसाई जो स्वर्ग के

समान दिव्य थी।

 

महाभारत में मल्ल देश के विषय में कई उल्लेख हैं।

 

बौद्ध साहित्य में मल्ल देश की दो राजधानियों

का वर्णन है-कुशावती(कुशीनगर)और पावा

(फाजिलनगर)।

 

बौद्ध तथा जैन साहित्य में मल्लों और लिच्छवियों

की प्रतिद्वंदिता के अनेक उल्लेख हैं।

 

मगध के राजनीतिक उत्कर्ष के समय मल्ल जनपद

इसी साम्राज्य की विस्तरणशील सत्ता के सामने न

टिक सका एवं चौथी शताब्दी ईस्वी पूर्व में चंद्रगुप्त

मौर्य के साम्राज्य में विलीन हो गया।

 

16.💐#शूरसेन:

शूरसेन महाजनपद उत्तरी भारत का प्रसिद्ध

जनपद था जिसकी राजधानी मथुरा थी।

रामायण काल में इसका नाम मधुरा था और

मधु दैत्य का पुत्र लवणासुर यहाँ शासन करता था।

 

लवणासुर का वध श्रीराम के छोटे भाई शत्रुघ्न

ने किया था।

 

शत्रुघ्न के पुत्र शूरसेन के नाम पर इस प्रदेश का

नाम पड़ा।

 

महाभारत में यहाँ श्रीकृष्ण के नाना सूरसेन का

राज्य था जिसे उनके पुत्र कंस ने हस्तगत कर लिया।

 

बाद में श्रीकृष्ण ने कंस का वध कर पुनः अपने

नाना को सिंहासन पर बिठाया।

उनके नाम पर भी इस प्रदेश का नाम रखे जाने

की कथा आती है।

महाभारत में शूरसेन-जनपद पर सहदेव की

विजय का उल्लेख है।

 

 

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