रिपोर्ट रजनीकांत विश्वकर्मा
यह घोटाला टोल के सॉफ्टवेयर को हैक कर किया जा रहा था, जिसमें 100 रुपए की टोल कटौती की जाती थी, लेकिन केवल 90 रुपए ही सरकारी खाते में भेजे जाते थे।
बाकी का पैसा टोल वसूलने वाली कंपनी के खाते में जाता था। सरकारी गाड़ियों के लिए फर्जी रसीदें बनाई जाती थीं, और बिना फास्टैग वाले वाहनों से भी नकली रसीदें दी जाती थीं।
यह घोटाला पिछले 2 सालों से चल रहा था, और इसमें NHAI के अधिकारियों और कर्मचारियों की भी भूमिका सामने आई है।
STF ने इस मामले में 5 मोबाइल, 2 लैपटॉप और 19 हजार रुपए बरामद किए हैं। यह घटना मिर्जापुर के लालगंज स्थित अतरैला टोल प्लाजा की है।