उप निदेशक कृषि एस पी श्रीवास्तव ने बताया कि पराली जलाने को लेकर शासन एवं राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के निर्देशों के क्रम में जिला प्रशासन सख्त हो गया है

मऊ रिपोर्ट संजीव राय 

उप निदेशक कृषि एस पी श्रीवास्तव ने बताया कि पराली जलाने को लेकर शासन एवं राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के निर्देशों के क्रम में जिला प्रशासन सख्त हो गया है। इसकी निगरानी सेटेलाइट के माध्यम से दिन व रात लगातार की जा रही है। जिलाधिकारी श्री अरुण कुमार के निर्देश पर सेटेलाइट से प्राप्त चित्रों के आधार पर ग्राम कोसाडीह, विकास खण्ड- रतनपुरा, ग्राम कुशमौर विकास खण्ड- परदहां, तहसील सदर, ग्राम- पड़री विकास खण्ड- रानीपुर, तहसील- मुहम्मदाबाद तथा ग्राम- गोडसरा, विकास खण्ड- घोसी, तहसील- घोसी एवं ग्राम अहिरूपुर, विकास खण्ड- फतेहपुर मण्डाव, तहसील- मधुबन के 05 कृषकों पर रू० 2500-2500 के हिसाब से अर्थदण्ड लगाया गया है। इसके अतिरिक्त ग्राम- भावनपुरा एवं इन्दुपुर विकास खण्ड- रानीपुर, तहसील- मुहम्मदाबाद, व ग्राम- बेला सुल्तानपुर, विकास खण्ड घोसी, तहसील- घोसी के कृषकों को भी पराली न जलाने हेतु नोटिस भेजी गयी है। इसके बाद इनपर भी गुण दोष के अनुसार अर्थदण्ड लगाया जायेगा। जिलाधिकारी श्री अरुण कुमार ने बताया कि कृषक पराली को न जलाये,अपितु बायो-डी कम्पोजर के प्रयोग से उसे खेत में ही सड़ा कर कार्बनिक कार्बन में वृद्धि करें।साथ ही पराली प्रबन्धन के यन्त्रों जैसे सुपर सीडर, मल्चर रिवर्सेबिल मोल्ड बोल्ड प्लाऊ अथवा हैप्पी सीडर का प्रयोग करके पराली को अपनी भूमि में मिलाकर भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकते है।उन्होंने बताया कि राजस्व ग्राम के लेखपालों की जिम्मेदारी है कि अपने-अपने क्षेत्र में पराली जलने की घटना न होने दे अन्यथा उनके विरुद्ध भी कार्यवाही की जायेगी।

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